षष्ठ नवरात्रि

षष्ठ नवरात्रि, जिसे दुर्गा सप्तमी भी कहा जाता है, नवरात्रि के छठे दिन मनाई जाती है। इस दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो दुर्गा माता के शक्तिशाली रूपों में से एक हैं। कात्यायनी देवी को दुर्गा का रूप माना जाता है, जो भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं।

इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह नवरात्रि की आध्यात्मिक गहराई को उजागर करता है। भक्त इस दिन देवी कात्यायनी की आराधना करते हैं, जो उन्हें शक्ति, साहस और बुद्धि प्रदान करती हैं। मान्यता है कि देवी कात्यायनी के आशीर्वाद से भक्त अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों को पार कर सकते हैं।

माता कात्यायनी का स्वरूप

माता कात्यायनी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से छठे स्वरूप हैं। उन्हें शक्ति, साहस, और ज्ञान की देवी माना जाता है। कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक हाथ में तलवार, दूसरे में धनुष, तीसरे में बाण और चौथे में कमल का फूल होता है। देवी का यह स्वरूप बलिदान, त्याग, और वीरता का प्रतीक है। उनका रंग सामान्यतः पीला या सुनहरा होता है, जो उनके तेजस्विता और ऊर्जा का प्रतीक है। माता कात्यायनी की उपासना से भक्तों में आत्मविश्वास और साहस का संचार होता है, जिससे वे कठिनाइयों का सामना कर पाते हैं।

 

पूजा सामग्री

माता कात्यायनी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  1. कलश: पूजा स्थल पर कलश स्थापित करने के लिए, जिसमें जल, चावल, और आम के पत्ते हों।
  2. फूल: देवी को अर्पित करने के लिए विभिन्न प्रकार के पुष्प जैसे गुलाब, चंपा, और बेला।
  3. दीपक: घी या तेल का दीपक।
  4. धूप: इत्र या धूपबत्ती।
  5. फल: विशेष रूप से नारियल, केला, और सेब।
  6. मिठाई: लड्डू, गुड़ या अन्य मिठाइयाँ।
  7. सिन्दूर: माता को अर्पित करने के लिए।
  8. पवित्र जल: स्नान और अभिषेक के लिए।

 

पूजा विधि

माता कात्यायनी की पूजा विधि निम्नलिखित चरणों में की जाती है:

  1. स्थान की तैयारी: सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां एक आसन बिछाएं। कलश को स्थापित करें, जिसमें जल और चावल भरकर आम के पत्ते रखें।

  2. दीपक जलाना: पूजा आरंभ करने से पहले दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाने से पूजा स्थल पर दिव्यता का अनुभव होता है।

  3. माता का स्मरण: देवी का ध्यान करते हुए “ॐ कात्यायनी नमः” का जाप करें। यह जाप मन को शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।

  4. अभिषेक: माता का अभिषेक करने के लिए पवित्र जल या दूध का प्रयोग करें। इस दौरान “ॐ ऐं ह्लीं श्रीं कात्यायनी देवियै नमः” का जाप करें।

  5. फूल और फल अर्पित करना: देवी को पुष्प और फल अर्पित करें। यह आपके श्रद्धा भाव का प्रतीक है और माता को प्रसन्न करने का साधन है।

  6. आरती और भोग: पूजा के अंत में माता की आरती करें और मिठाई का भोग लगाएं। आरती के दौरान “जय कात्यायनी माता” का गान करें।

  7. प्रार्थना और प्रसाद: अंत में, माता से अपनी इच्छाएँ व्यक्त करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें। पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें।